Tuesday 13 August 2019

मैंने खुद को कहीं खो सा दिया

मैंने खुद  को कहीं खो सा दिया!!!


रिश्तों की ज़ंजीरों में कुछ इस तरहान उलझ सा गया...
की लगा मैंने खुद को कहीं खो सा दिया।।।


जिसको जैसा लगा उसने वैसा सोच लिया,
अपने शब्दों को मेरा नाम दिया,
अपने जज्बात्तों को मेरा बना ही दिया,
दूसरों की खातिर मैंने अपना सब कुछ लुटा ही दिया


की लगा मैंने खुद को कहीं खो सा दिया।।।


सब के लिए वक़्त बंधने सा लगा,
किसी अनजाने चेहरे की कमिया पूरी करने सा लगा,
एक जनि पहचानी सी भीड़ में गुम होने सा लगा,
खुद  के लिए वक्त कहाँ ... ये सोचने सा लगा,
खुद के लिए वकत माँगा तो किसी और का गुलाम पाया,
एक जानी -पहचानी सी भीड में गुम सा होने लगा....



 की लगा मैंने खुद को कहीं खो सा दिया।।।