Saturday 28 April 2012

ख़ाब

तू कौन है?
जो जाने के बाद मुझे अकेला कर जाए...
जो न होते हुए भी हरपाल हर घडी तेरी ही याद दिलाये...
कोई एहेशस या कोई हकीकत...
कोई साथ या धोखा..
कोई रिश्ता या एक अनजाना...
क्यूँ हर घडी हरपाल हर लम्हा तुझे देखना चाहता हूँ...
क्यूँ हर घडी हरपाल तुझसे बात करना चाहता हूँ...
तू है तो फिजा है तू नही तो सब कुछ पराया है....



क्यूँ तुझे पैर इतना भरोषा है..
क्यूँ आती है तू तन्हाई में..
क्यूँ रहती है हरपाल मेरे साथ...
अपने का फ़र्ज़ तुने अदा किया..
दोस्ती का फ़र्ज़ तुने अदा किया..
तुजपर यकीं करूँ तो केसे..
तू हकीकत तो नही..
और न करूँ तो तू साथ छोड़ जाएगी...
तू कौन है...?
तू कौन है..?





तुझे पाना चाहता हूँ..
तुझपर यकीं करना चाहता हूँ...
तू साथ है तो सारी फिजा साथ..
ये धरती, आसमा, परिवार, दोस्त सब है..
तू नही तो में भी नही..
तू कौन है...
तू कौन है....
तू कौन है...
तू कौन है..







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